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तेंदुलकर क्रिकेट के भगवान (भारत रत्ना देने में देरी क्यों)

ASHUTOSH GUPTA
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यूहीं नहीं है दिया गया है तेंदुलकर को क्रिकेट  के भगवान का दर्ज़ा  !

हमारा जीवन हमारे लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योकि इन्सान के रूप में जनम लेने का मतलब हम सभी जानते है और उसके बाद है हमारे जीवन में जो हम चाहते है उसका मिलना जो यक़ीनन सब को हासिल नहीं होता कुछ को ज्यादा कुछ को कम और कुछ को जरूरत से भी ज्यादा का मिलना है तेंदुलकर एक ऐसी शख्शियत  है जिनकों ईश्वर ने वो सब कुछ दिया जो वो चाहते थे यही नहीं उनका  साथी खिलाडी (विनोद काम्बली ) जो उनके साथ चला था वो कही गुमनामी में खो गया क्या वो एक और तेंदुलकर बनने लायक नहीं था यक़ीनन वो था लेकिन वो अपनी उपलब्धि का सही तरह से उपयोग नहीं कर पाया भटक गया राह में कहीं और तेंदुलकर आगे बढ़ते चले गए एक ऐसे मील का पत्थर रखने जिस पर  दूसरों का पहुचना संभव ही न हो पाए !

अगर आप समझते हो यह सब बहुत असान है ईश्वर उन पर मेहरबान है नहीं ऐसा नहीं है कुछ ऐसी चीजे होती  है जिनको हमें खुद भी  करना होता है त्याग करना पड़ता है न चाहते हुए भी दूसरों की बात माननी पड़ती है कुछ ऐसे कड़े नियम बना कर उस पर अमल करना होता है जिन्हें अच्छे अच्छे तोड़ जाते है उपलब्धि के बाद उसको बरक़रार रखना उससे भी कही मुश्किल होता है यही कारन है तेंदुलकर ने बहुत से ऐसे साथियों को पीछे छोड़ दिया जो एक समय में उनसे कही अच्छे थे पर  कही भटक गए या सफलता को हजम नहीं कर पाए ! आज के दौर में जरा सी प्रसिद्धी या सफलता मिलने पर ही व्यक्ति अपने आप को सबसे बड़ा समझने लगता है और दूसरों का निरादर या फिर अपनी प्रसिद्धी का दुरूपयोग करने लगता है पर तेंदुलकर उन लोगो में से नहीं निकलें इन्होने कभी भी अपनी प्रसद्धि का दुरूपयोग नहीं किया न ही किसी का अपमान!

सफलता बरकरार रखने  के लिए भी त्याग करना पड़ता है आज हम तेंदुलकर के  व्यक्ति गत जीवन में झाकें तो शुरू शुरू में जब उन्हें सफलता मिली तो उनके चाहने वालों में लडकियों की लाइन सबसे ज्यादा थी जिससे उनके भटकाव की स्थति को देख सबसे पहले उनके पिता ने उनकी शादी कर दी और वो उन सब झमेले से बचे रहे जिन्हें आज के युवा क्रिकेटर सबसे ज्यादा प्राथमिकता देते है और समझदार है  वो जो तेंदुलकर से सीख लेकर उन्ही के क़दमों पर चल पड़े है शादी के बाद भी उन्होंने अपने दाम्पत्य जीवन में कही भी दरार  नहीं आने दी उसको पुरे निष्ठां के साथ निभा रहे है यहाँ तक की उन्होंने अपनी सभी महिला प्रशंसको  को कभी  भी प्रशंसक से ऊपर नहीं लिया जो आज के युवा क्रिकेटरों के लिए एक सबक है और उनके खेल में एकाग्रता बनाये रखने के लिए जरूरी भी !

तेंदुलकर ने रूपये पैसे को कभी प्राथमिकता नहीं दी बल्कि प्राथमिकता दी अपने संस्कार और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारिओं की यही कारन है वो समाज में भी अपना एक आदर्श प्रस्तुत करते चले गए  वो किसी की मदद रूपये पैसे से हो या फिर मनोवैज्ञानिक या फिर साथी खिलाडिओं को  अपने तजुर्बे की सलाह वो हरदम इन  कामो में आगे रहते है उनके कई ऐसे खिलाडी है जो भटकाव की स्थिति में उनसे सलाह लेते है और उप्लाब्दी हासिल  करने पर उनका नाम बताने से भी नहीं चूकते  यही नहीं उनके किये विज्ञापनों भी   विशेष ही होते है जिनमें दिखाए गए उत्पादनों से समाज को कोई नुकसान नहीं होता वो ये जानते है की उनके किसी भी विज्ञापन का समाज में कितना असर पड़ता है उन्होंने इस बात का हमेशा ध्यान रखा है जिन उत्पादकों  वो विज्ञापन करें वो किसी के लिए हानिकारक न हो ! और वो उसका स्वं भी इस्तेमाल करते हों

तेंदुलकर ईश्वर को भी  धन्यवाद देना कभी नहीं भूलते क्योकि अगर इंसान सोचता है सब कुछ मेरे हाथ में है तो वो गलत सोचता है ईश्वर का साथ भी उतना ही आवश्यक है जितना की हमारा मेहनत करके परीक्षा देना यही कारन है की जब भी उनको मौका मिलता है वो अपने इष्टदेव  गणपति के दरबार में हाजिरी जरूर लगाते है

तेंदुलकर ने अपना जीवन अपने काम  को समर्पित किया है उनके कहे गए बयानों में  की मुझे रात  दिन क्रिकेट के अलावा कुछ सूझता ही नहीं अगर कोई बोलर मुझ पर हावी हो जाता है तो मैं उसकी कराइ गयी बोलों का जवाब ढूँढता  रहता हूँ

तेंदुलकर का एक और गुण है वो एक शांत सवभाव के व्यक्ति है किसी की भी नकारत्मक प्रतिक्रिया का जवाब वो अपने बल्ले से देते है उनके गलत आउट देने पर भी कोई आक्रामक प्रतिक्रिया नहीं देते न ही किसी को आउट करने या किसी की गेंद  पर छक्का मारने पर भी उसकों निचा  दिखाने की कोशिश करते है केवल खेल को खेल भावना से खेलना उनकी प्राथमिकता रहती है यही नहीं  क्रिकेट में वो असफल या भटकाव की स्थति में स्वं अपना नाम टीम से वापस ले लेते है और जब तक बाहर  रहते है जब तक वो सौ प्रतिशत देने के काबिल न हो जाये शायद ही कोई ऐसा खिलाडी हो जो ऐसा करने की हिम्मत  कर पाए

उनके हमउम्र खिलाडिओं ने स्वं टीम से बाहर हो जाने पर कई बार उनके टीम में बने रहने पर टिपण्णी की जिसका जवाब उन्होंने हर बार अपने बल्ले से दिया और दिखा दिया की क्यों वो आज भी टीम  के अन्दर है और टिपण्णी करने वाले बाहर और आज वो खिलाडी भी तेंदुलकर का लोहा मान गए है

कोई भी मैच जीतने पर आज भी उनके चहेरे पर वैसी ही चमक दिखाई  देती है जो सोलह साल वाला सचिन के चेहरे पर दिखाई देती थी उनके अब तक के जीवन पर नजर डाले तो उन्होंने हर तरफ आदर्शो की स्थापना की है शायद ही कोई विवाद उनसे जुड़ा हो ऐसा पुरे भारत में क्या पुरे विश्व में कोई खिलाडी नहीं जो उनके जैसा चरित्र रखता हो

यही नहीं वो अपनी उप्लाभ्दियों को भी दूसरों  के लिए समर्पित करना नहीं भूलते चाहे वो अपने पूज्य पिता के लिए या कारगिल लड़ाई मे मारे गए शहीदों के लिए या मुंबई मे आतंकी घटना मे मारे गए शहीदों के लिए वे हमेशा  इन सब का ध्यान रखते है और इन्ही से प्रेरणा लेकर क्रिकेट के मैदान में उतरते है जो उनकी सफलता का कारन बनते है

उनके इन्ही सब गुणों पर जब हम विस्तार से नजर डालते है तो हमें वो आम इंसानों से इतर नजर आते है ऐसे खिलाडी का भारत से जुड़ा होना भारत के लिए गर्व की बात है जो न केवल भारत में बल्कि अन्य देशो के खिलाडिओं के लिए भी भगवान  स्वरुप हैं ऐसे खिलाडी को भारत रत्ना दिया जाना भारत के लिए गर्व की बात होगी

आशुतोष दा

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