समस्या से पार पाने में उर्जा का उपयोग करें
वास्तव में जीवन जीना जितना आसान है उतना ही कठिन भी है लेकिन जब जीवन सकारत्मक है तब तक आदमी खुश है जरा सा नकारात्मक हुआ नहीं की कुंठा होनी शुरू, फिर शुरू होता है दोषा रोपण क्योंकि मनुष्य की प्रवत्ति स्वं को को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने की है उसके अनुसार गलती दुसरे करते है यही कारन है हम उन समस्याओं को और बढ़ा देते है जैसे छोटी सी समस्या को ले लेते है घर में बिजली का बिल जरूरत से ज्यादा आ गया या टेलिफ़ोन का बिल ज्यादा आ गया बस दोषा रोपण शुरू हो ज्यादा है तुम लाइट ज्यादा चलाते हो नहीं तुम सारे दिन टीवी देखते रहते हो तुम यहाँ तहां फोन करते हो तुम घंटो बात करती हो और लड़ाई शुरू जिसका असर न सिर्फ हमारे बच्चों पर पड़ता है बल्कि वो भी दोषरोपण की इस प्रवत्ति को अपने अंदर डाल लेते है कल स्कूल टीचर ने ऐसा कह दिया कल टीचर ने वैसा कर दिया गलती उसकी डाट मेरी पड़ी आये दिन हमें भी इस तरह की शिकायत सुनने को घर में अपने बच्चो से मिलती है ये सब वो कहाँ से सीखते है यक़ीनन वो हमीं से सीखते है सोचिये अगर बिजली या टेलिफ़ोन का बिल ज्यादा आने पर सभी लोग आगे से अपनी जिम्मेदारी को द्रड़तापुर्वक पालन करने की मन ही मन शपथ ले और इसका केवेल सदुपयोग करें तो यक़ीनन ये छोटी सी समस्या पल भर में हल हो जाती है बजाय इसके घर में महायुद्ध हो इस तरह से हम बच्चो को भी सिख देते है की समस्या से पार पाने में ही भलाई है दोषरोपण में नहीं तभी आपका बच्चा कल को बाहर खलने के बाद किसी की शिकायत लेकर घर नहीं आएगा क्योकिं उसकों समस्या से पार आना आ जायेगा इस तरह हम न केवल अपनी उर्जा जो हम कुंठा होने या एक दुसरे पार दोषा रोपण करने में खर्च करते वही उर्जा हम जीवन मैं आगे बढ़ने में खर्च करेगें सोचिये जब भी घर में महा भारत होता है उसका सीधा असर काम पर पड़ता है या बच्चा अगर किसी से झगड़ता है उसका सीधा असर उसकी पढाई पर पड़ता है जो हमें जीवन में आगे बदने में बांधा पहुंचाती है जिससे हम जीवन में उतना आगे नहीं बढ़ पते जितना की हमें होना चाहिए हाल ही में सुश्री मायावती और पि चिदम्बरम का बयां देख कर कुछ ऐसा ही लगा अगर ये अपनी उर्जा को दोषारोपण में न खर्च कर इस समस्या से और द्रड़ता से पार पाने में खर्च करें उससे न केवल समस्या का निवारण होगा बल्कि संचय उर्जा का अन्य कामों में खर्च होगा अगर हम श्रेष्ठ व्यक्तियों को ले जो जीवन में सफल है तो हम पायेगें की यक़ीनन उनके अंदर भी यही गुण होगा वो दोषारोपण से ज्यादा समस्या का समाधान करने को प्राथमिकता देते है
आशुतोष दा
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