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फ़र्जी डिग्री क्या कोई उपाय है

ASHUTOSH GUPTA
ASHUTOSH GUPTA
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क्या कहा दादा मुझें भी एक पत्रकारिता की डिग्री दिलादो, लाइन पढ़ी नहीं एक सज्जन मुझसे बोले  मैंने कहा भाई साहेब कहीं दैनिक जागरण मैं लगा दी तो साफ पकडे जाओगे और दोनों जेल में ब्लोगिंग करेंगे न भाई हम तो छोटी ब्लोगिंग से ही खुश है, पानी चाहिए कुआँ अपने आप ढूँढो ,मंजिल चाहिए रास्ता अपने आप मिल जाता है ढूंडने वाला चाहिए

मेरे एक कालोनी में रहने वाला काफी दिन बाद मिला मैंने पूछा  क्या कर रहे हो बोला एक ऍम एन सी में टीम लीडर हूँ मैंने यूपी भाषा में घुड़की  दी  अबे तुने हाई स्कूल तो किया नहीं तू टीम लीडर कहाँ से बन गया बोला दादा सब हो जाता है कंपनी काम  देखती है वो मैं कर रहा हूँ  प्लेसमेंट वाले को पैसे दो सब हो जाता है मैंने कहा कैसे हो जाता है दादा प्लेसमेंट वाले कंपनी के एच आर से सैटिंग करें रखते है मैंने कहा वो तो ठीक है पर जो काबिल है पढ़ रहे है अच्छे नम्बर से पास हो रहे है उनका क्या बोला दादा मैंने अपना सोचना है सबका नहीं बोलो तो आपकी नोकरी लगवा दू सुना है आज कल बड़ा ब्लॉग शलाग  लिखने लगे हो दैनिक जागरण में ही लगवा दूंगा मैंने कहा भाई तू जा मैं इससे ही खुश हूँ वैसे ही दैनिक जागरण के पास ब्लागरों की कमी नहीं एक ढूदेंगे एक हजार लाइन में खड़े होंगे!

मैं जो यहाँ लिख रहा हूँ ये कहानी नहीं यही सब चल रहा है और कोई पूछने वाला नहीं नोकरी ढूडने की जरूरत नहीं बस एक अच्छा सा प्लेसमेंट कंसल्टंट ढूँढो और नौकरी तैयार आपके मनमाफिक लेकिन काम तो करके दिखाना होगा अरे भाई ६ महीने तो कंपनी आप को झेल ही लेगी उसके बाद थोडा बहुत तो आप सिख जाओगे नहीं भी सिखा तो दूसरी नौकरी तैयार बस प्लेसमेंट कंसल्टंट से संपर्क बनाये रखें वैसे इसकी भी जरूरत नहीं वो आपको खुद ही ढून्ढ लेगे !

कुकरमुत्ते की तरह से बढ़ते प्लेसमेंट कंसल्टंट फर्जी डिग्री को बढ़ावा देने में सबसे आगे है इन्हें नौकरी लगवाने से मतलब नौकरी लगी नहीं इनके पैसे सीधे अब वो वहां पर काम करे या दो महीने बाद कंपनी उसे निकाल बाहर करे इन्हें क्या अनुभव का प्रमाण पत्र भी ये मिनटों में बना देते है सब सेटिंग है  पर इनकी इस हरकत से डिग्री धारक  और अनुभवी खासे परेशान है कंपनियां भी हर महीने भर्ती और निकलने की इस प्रक्रिया से खासी परेशान है पर इनके जाल से निकल ही नहीं पा रही है

इस बढती समस्या का उपाय क्या है, क्या आगे भी इस तरह की फर्जी डिग्री और झूठे अनुभव प्रमाणपत्रो का ये खेल चलता रहेगा ?

मैं इस विषय पर आप सभी की राय जानना जरूर चाहूँगा वैसे मेरी समझ में इसका जो उपाय है वो आपके समक्ष रख भी रहा हूँ इस पर भी आपकी प्रतिक्रिया जरूरी है क्योकि शिक्षा में बदलाव को लेकर हमारे माननिये कपिल सिब्बल जी बहुत ही ज्यादा संजीदा है और शिक्षा में बदलाव के साथ साथ वो इस समस्या और इसके समाधान पर खासा ध्यान देने वाले है अब वो वक्त ही बताएगा उनका ये बदलाव कहाँ तक सफल हो पता है या उनकी सरकार जाते ही ये बदलाव भी बदल जाये असंभव नहीं !

इसका उपाए जहाँ तक मेरी समझ में वो है सभी व्यक्तियों का ऑनलाइन पोर्टफोलियो है जो सरकार या शिक्षा विभाग द्वारा संचलित हो ! इस पोर्ट फोलियो में उसकी क्लास फर्स्ट से लेकर उसकी अधिकतम शिक्षा का विवरण हो अगर वो कोई खेल या अन्य छेत्र में कोई उपलब्धि हासिल करता है तो उसका भी उसमें ही विवरण हो यही नहीं उसके किसी कंपनी में नौकरी करने पर कंपनी का अपने यहाँ काम पर रखने एवं छोड़ने की दिनांक छोड़ने का कारन अंकित करे एक तरह से यह उसकी ऑनलाइन आईडेनटीटी की तरह से भी काम करेगा जिसका उसकों एक नम्बर होगा जिससे उस व्यक्ति द्वारा किसी भी तरह की हेराफेरी करना असंभव ही नहीं नामुमकिन होगा और कंपनियों को भी कागजी कारवाही की जरूरत नहीं पड़ेगी इन्टरनेट पर उपलब्ध उसके ऑनलाइन पोर्टफोलियो से उसकी सारी जानकारी सामने होगी यही नहीं उसको अपने बायोडाटा या रिज्यूमे को लेकर इधर उधर भटकने की भी जरूरत नहीं होगी केवेल उसको दिए गए नम्बर का उल्लेख करना होगा जिस कंपनी में आपको काम करना है उस कंपनी की साईट पर जाकर अपना नम्बर देदो बाकि काम कंपनी अपने आप करलेगी हलाकि इस समस्या को लेकर कई कम्पनी और युनिवेर्सिटी आगे बढ़ चुकी है और इस समस्या से निबटने हर संभव प्रयास किये जा रहे है लेकिन किसी भी व्यक्ति के अनुभव की सत्यता और शिक्षा का कोई भी रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा इसी की आड़ लेकर प्लेसमेंट के नाम पर आये दिन इन सेंटरों पर नौकरी लगवाने के नाम पर दिए पैसो को लेकर झगडे होते रहते है

आपकी राय जानने को उत्सुक

आशुतोष दा

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