Menu
blogid : 3617 postid : 46

पद और योग्यता

ASHUTOSH GUPTA
ASHUTOSH GUPTA
  • 14 Posts
  • 117 Comments

आज देश में दो मुख्य पार्टी है और अनगिनत छोटी मोटी पार्टी पर मैं जो सवाल यहाँ पर करने जा रहा हूँ वो ये क्यों ये पार्टी सरकार बनाने की स्थति में मंत्रालय पद देने में व्यक्ति विशेष की योग्यता को आधार नहीं बनाती है बजाये इसके की उसके समर्थक ज्यादा हैं ,उसकी पार्टी में महत्ता ज्यादा है , योगदान और उसकी पार्टी में वरिष्ठता है शायद यही कारन है की इन पदों पर इस तरह के विराज मान नेता कार्य कुशल न होने के कारन इन पदों को संभाल नहीं पाते जिसका फायदा भ्रष्ट लोग उठाते है जिससे हमारे देश में अराजकता की स्थति पैदा होती है और मैनेजमेंट सिस्टम ख़राब होता है आज देश की स्थति सभी जानते है और इसका कारन भी ! अब इस तरह के लोगो से हम यदि कोई सवाल पूछते है तो जवाब क्या देते है शायद जनता को पता है आप जब किसी भी कंपनी में काम करने जाते हो तो आपको पद आपके पिछले किये काम पर दिया जाता है जैसा की आप वरिष्ठ प्रबंधक का पद जब पाते हो जब आपने प्रबंधक का पद संभाला हो बात बिलकुल सही है आप एक उच्च पद को कैसे संभालोगे जब आपको उससे निचे के पद का अनुभव ही न हो यही नहीं सरकारी महकमों में लिखित परीक्षा के बाद योग्य व्यक्ति को चुनने के लिए संभंधित विभाग के वरिष्ठ लोगो द्वारा साक्षात्कार लिया जाता है तब जाके चयन होता है पर यहाँ तो कुछ ऐसा है ही नहीं जिसको चाहे उसको मंत्रालय दे दो चाहे उसको उस पद की क ख ग न पता हो पर पार्टी में साख होनी चाहिए रुतबा होना चाहिए ! क्या यह सही है क्या यह नेता उस मंत्रालय में काम कर रहे वरिष्ठ लोगो को सही दिशा निर्देश दे पायेगा ! और एक बात कोई भी व्यक्ति कप्तान के रूप में कार्य नहीं कर सकता या यू  कहिये कोई भी व्यक्ति टीम का सदस्य बनकर तो टीम में अच्छा योगदान करता है लेकिन अगर उसे टीम की कमान देदी जाये तो वो न तो टीम को संभाल पाता और न ही अपना १००  प्रतिशत टीम को दे पाता नतीजा जीरो टीम बेकार हो जाती है हारने लगती है कप्तान बनने की क़ाबलियत व्यक्ति विशेष में जनम से ही होती है हर कोई व्यक्ति बहुत से लोगो को साथ में लेकर नहीं चल सकता हा लेकिन साथ में रहकर वो बेहतरीन योगदान कर सकता है और इसका आभास व्यक्ति को होता है और उसके साथ में रहने वाले व्यक्तियों को भी तभी टीम के सदस्य इस व्यक्ति को निकाल बहार कर कप्तान का दायित्व सोंपते है और उसके कहे अनुसार चलते है ! जैसे उदहारण के तौर पर भारतीय क्रिकेट टीम को लें इसमें कई ऐसे खिलाडी रहे जिन्होंने कप्तान बनना तो चाहा और बने भी लेकिन उसका दायित्व वो निभा नहीं पाए नतीजा उनका टीम में बने रहना भी मुश्किल हो गया बहुत से खलाड़ी जिन्होंने अपने आप को पहचान कर इस पद से मुक्त होकर टीम मेम्बर बनने में ही भलाई समझी आज भी टीम में बने हुए है जब आप किसी कंपनी में काम करने जाते हो तो इन्ही सब बात का विशेष ध्यान रखा जाता है और आपकी योग्यता को कंपनी के एच आर बारीकी से परखते है और पद का निर्धारण करते है जिससे उसकी योग्यता का कंपनी को पूरा फायदा मिलें और वह भी कंपनी को १०० प्रतिशत दे सके जब मैंने प्रधान मंत्री जी बयान पढ़ा मै कोई ज्योतिषी थोड़े हूँ  तो कहीं न कहीं मुझे ऐसा लगा की उनमें एक टीम मेम्बर बनने के सारे गुण माजूद है  जैसा की उन्होंने पूर्व में कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री का पद बखूबी संभाला लेकिन आज वो एक कप्तान के रूप में विफल हो गए है जिससे की टीम लगातार हार रही है इसके सारे सदस्य अलग थलग पड़ गए है टीम बिखराव की स्थति में है और हार को अपने ही दुसरे साथियों पर मड रही है फिर भी वो इसको मानने के लिए तैयार नहीं है में इस पद को और नहीं संभाल सकता ! मैं नहीं जानता की उनके इस पद पर बने रहने की क्या मजबूरी हो सकती है लेकिन आजादी के बाद देश में इससे निश्क्रष्टतम शासन तो हो ही नहीं सकता ! दुसरे मंत्री है खाद्य और कृषि मंत्री जो वैसा ही बयां पूर्व में दे चके है जब आप लोगो से पद को संभाला नहीं जाता तो आप इस पद को दुसरे योग्य लोगो को क्यों नहीं देते क्यों टीम को हारने दे रहे है ! क्यों आपसे मंत्रालय सम्बंधित सवाल पूछने पर आप लोगो को बंग्लें झाकने पड़ रहे है जनाब किसी भी मैच के हारने पर देश में फर्क पड़ता है जनता का मनोबल गिरता है और यहाँ तो जीने मरने का सवाल है जनता महगाई  और भ्रस्टाचार से त्रस्त है और एक आप लोग हैं इसको मजाक समझ रहे है और हास्यप्रद बयान से जनता को नवाज रहे है टीम के सलेक्टर यानि जनता भी परेशान है की उन्होंने ऐसी टीम बनाकर कितना गलत निर्णय लिया है क्या कोई है जो इस टीम को बर्खास्त कर सकता है वैसे अगर यह कहा जाये की किसी भी प्रधान मंत्री को पांच साल किसी भी प्रदेश का मुख्य मंत्री पद का अनुभव जरूर होना चाहिए तभी वह इतने बड़े पद को बेहतरीन तरीके से संभाल सकता है  सही ही होगा ! नितीश जी ने भी राहुल गाँधी जी से यही कहा था बेटा जाकर पहले किसी प्रदेश की बागडोर सम्भालों फिर मुझ पर उंगली उठाना और प्रधान मंत्री के सपने देखना ! वास्तव में उनका ये बयान सही ही है पांच क्या प्रधान मंत्री जैसे पद के लिए तो कम से कम दस साल का प्रदेश के मुख्यमंत्री का तजुर्बा तो होना ही चाहिए ! आज भारत तरक्की की और अग्रसर है लेकिन हमारे देश के नेता चुनने का स्तर आज भी पुराना है लेकिन आज वक्त चिल्ला चिल्ला कर कह रहा है की नेताओं को चुनने में योग्यता के स्तर को भी देखो नहीं तो आप यूहीं चिल्लाते रहोगे और ये नेता आपको ऐसे ही बयान देंगे जो आज कल दिए जा रहे हैं ! आज इतने बड़े देश के सर्वोच्च व्यक्ति के मुहं से ऐसी बात सुन कर ऐसा लगा की धोनी यह कह रहे हो की में कोई ज्योतिष थोड़े ही हूँ की बता दूँ की भारत विश्व कप जीतेगा की नहीं ! आशुतोष दा

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh