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आज उठ रहे जनांदोलन को लेकर संसंद में असमंजस की स्थिति बनी हुई है वो शायद इसलिए की अगर उन्होंने अन्ना टीम द्वारा तैयार बिल जो की सभी को लगता की सभी द्रष्टि से उचित है और आने वाले दिनों में प्रगति शील और भ्रस्टाचार मुक्त भारत के लिए अवश्यक है को पास कर दिया तो उससे जनता को यह सन्देश जायेगा की १२५ करोड़ जनता का प्रतिनिध्तव करने वाले जो न कर पाए वो आम से दिखने वाले चार पांच लोगो ने जो की वास्तव मैं सभी बुद्धिजीवी है कर दिखाया जिसमें उन्हें संसंद की प्रतिष्ठा धूमिल होती लगती है उन्हें लगता ऐसा करके वे नीचे हो जायेगें यह आत्म स्वाभिमान जो उनके अंदर जाग रहा है यह सरासर अनुचित है इसके लिए आप १२५ करोड़ लोगो का भविष्य दाव पर नहीं लगा सकते मैने अभी कुछ दिन पहले पढ़ा था की अति प्रतिष्ठित पद पर बैठे भारत के चर्चित नेता भी यदा कदा उनकी सेवा में लगे व्यक्तियों से राय ले लेते थे इससे कोई आदमी छोटा नहीं हो जाता कभी कभी जो हम सोच नहीं पाते या जो हमें एक उच्च पद पर रहते दिखाई नहीं देता वो एक सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति देख लेता है और उसकी राय भी कभी कभी डूबता को तिनके का सहारा जैसा काम करती है अतेह जिन सांसदों में यह जो हीन भावना पनप रही है या फिर चंद लोग जो की घाघ है और नहीं चाहते देश का भला हो यह कह कर की आज अगर हमने अन्ना का बिल पास कर दिया तो यह परम्परा बन जाएगी, ऐसा करके हमारी जड़ें कट जायेगीं, यह संसद की अवमानना होगी अन्य समझदार सांसदों को भड़का रहे है उनको समझें और ऐसे घाघ लोगो के भड़कावे न आकर देश की जरूरत और जनता की आवाज़ को समझे अगर आप जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि है तो अन्ना भी आज देश की जनता की ही आवाज़ है फिर आपमें और अन्ना मैं फर्क कैसा आप लोगो को भी कल जनता के दरबार मैं वोट मांगने फिर आना है ऐसे मैं आप कम से कम यह तो कह सकेगें की हमने जनता की आवाज़ को संसंद मैं रखा और उसकों माना ! वक़्त बदलता रहता है आज जो लोग सांसद है कल वो सामान्य लोगो में भी आयेगें शायद उस वक्त आपको भी इस भ्रस्टाचार का सामना करना पड़े कहीं ऐसा न हो उस वक्त आपको यह पछतावा हो की अगर हमने अन्ना का बिल पास कर दिया होता या अन्ना को समर्थन दे दिया होता तो आज ये नौबत नहीं आती आज हमें ये परेशानी न होती !
अपनी बात को समाप्त करते हुए अंत में यह कहना चाहता हूँ की भारत एक जिम्मेदार देश है जरा सोचिये आज पूरे विश्वे में इस आन्दोलन को देखा और समझा जा रहा है इस आन्दोलन को कुचलने से देश की कितनी बदनामी हो रही है या हुई है सर्वविदित है पूरे विश्व को भारत सरकार के एक सही कदम की दरकार है जिससे यह सन्देश जा सके की वास्तव में भारत में गांधीजी जी और उनके आदर्श अभी भी अपनी उपस्थति बनाये हुए है और उनका का पालन किया जाता है !
आशुतोष दा
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